अब कभी भी नहीं ... बहोत हो गया यह सब ... हर बार लाशे गिनकर थक गया हु मैं ... अब कभी नहीं ... टीवी वालों की बकबक से थक गया हु मैं ... वोही वोही तस्वीरे देख कर पाक गया हु मैं ... अब कभी नहीं ... नेताओ के खोकले आश्वासन अब नहीं ... अब कभी नहीं ... भारतीय हु मैं ... हमेशा रहूँगा ... मुजे भाषा के नाम पर मत बाटों ... अब कभी नहीं ... क्यों हुआ ... कब हुआ ... बहोत देखा और सुना मैंने ... अब कभी नहीं ... करोड़ों रुपये लगा दिए ... एक आतंकी की सुरक्षा के लिए ... थोड़े मुझ गरीब के लिए भी दो ... टैक्स भरता हु मैं ... अब कभी नहीं!
इन कुत्तों से तो अच्छा है ... वोह लोग ... जो चोरी करते है ... किसी का घर तो नहीं उजाड़ते ... अब कभी नहीं ... बहोत दिन गुजार दिए ... हालात सुधरने की आशा में ... अब कभी नहीं ... मंदिर-मस्जिद बहोत देखे जलते हुए ... इस कुत्तों को बहोत देखा मुझ पर हसते हुए ... अब कभी नहीं ...
या तो इन को ख़त्म कर दो ... या मुझे उठा लो ... पर अब नहीं ... अब कभी भी नहीं!
- ढोलिबाबा